1200 फुट ऊँची पहाड़ी पर माँ अर्बुदा देवी का 800 साल पुराना मंदिर
जिसका परकोटा कुम्भलगढ़ दुर्ग की तरह बना हुआ है |
माँ अर्बुदा देवी – माउन्ट आबू पर इन्द्रसागर की पहाड़ियों पर विराजी माँ अर्बुदा देवी का मंदिर करीब 800 साल पुराना है, माँ करीब 1200 फुट ऊँची पहाड़ी पर विराजमान है। इस मंदिर की स्थापना देलवाड़ा नरेश ने करवाई थी। देवी को मेवाड़ की रक्षार्थ राठासेन माता की बहिन माना गया है। देवी का मंदिर ऊँची पहाड़ी पर है, जहां रास्ता कच्चा होने के कारण मंदिर तक पहुंचना काफी कठिन है।
“माँ अर्बुदा देवी और माउंट आबू: प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिकता का संगम”
माउंट आबू, भारत का एक प्रमुख पर्वतीय स्थल है जो राजस्थान राज्य में स्थित है। यहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य, शांति, और आध्यात्मिक माहौल ने इसे भारतीय धर्म और परंपरा का महत्वपूर्ण स्थल बना दिया है। माँ अर्बुदा देवी, जिन्हें माउंट आबू के पर्वत पर स्थित मंदिर में आराधित किया गया है, इस स्थल का महत्त्व और उनके भक्तों के लिए आध्यात्मिक महत्व को और भी विशिष्ट बनाते हैं।
मंदिर के आसपास 150 बीघा से ज्यादा में दीवार का परकोटा है।
मंदिर वाली पहाड़ी का ऊपरी भाग समतल है। यहाँ करीब 150 क्षेत्र में कुम्भलगढ़ दुर्ग की दीवार की तरह परकोटा बना रखा है। यह दीवार काफी दायरे में फैली हुई है, बताया जाता है की इस दीवार को सिर्फ एक रात में बनाया गया था।
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यहाँ शेर पर सवार है माता का स्वरुप
माँ अर्बुदा के मंदिर में माता का शेर पर सवार स्वरुप है। यहां नवरात्रा में विभिन्न अनुष्ठान होते है। बरसों पुराने इस मंदिर से काफी दूर तक का क्षेत्र दिखाई देता है। झालों का गुड़ा गांव के पास स्थित राठासेन माता मंदिर की तरह ही इस मंदिर का संचालन भी एकलिंगनाथ संस्था करती है।
माउंट आबू का प्राकृतिक सौंदर्य:- माउंट आबू का प्राकृतिक सौंदर्य भी इस स्थल को और भी आकर्षक बनाता है। यहाँ के घने वन, शीतल झीलें, और प्राकृतिक झरने बेहद ही मनमोहक होते है।
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